अपने अंदर इतिहास के कई रहस्यों को दबाए भोपाल में समय-समय पर कई परंपराएं पनपीं। इस दौरान एक दौर पटिएबाजी का भी आया। उस दौर में आज की तरह टीवी, लेपटॉप, मोबाइल या इस तरह की टेक्नीकल चीजें आदमी का मनोरंजन करने के लिए उपलब्ध नहीं थीं। इस दौरान आदमी घंटों तक दोस्तों के साथ गपशप करता था।
दोस्तों के साथ गपशप के लिए लगने वाला दरबार उस दौर में इतना प्रसिद्ध हुआ कि लोगों ने इसे पटिएबाजी का नाम दे दिया। पटिओं पर बैठने वालों को भी पटिएबाज की संज्ञा इस दी गई। भोपाल में कई सदियों से चली आ रही पटिएबाजी भले ही आज अपने मूल स्वरूप में न बची हो, लेकिन राजधानी के कई क्षेत्रों में आज भी सजती है पटिएबाजों की महफिलें...
देर रात तक सजती थीं पटिएबाजों की महफिलें :
भोपाल में कभी स्टेंडअप कॉमेडी की ही तरह कभी देर रात तक चुटकुले, गपशप और तंज कसने का दौर चलता था। इस दौरान बड़े से बड़े गर्म मुद्दों को बड़ी नजाकत के साथ हंसी मजाक में ही बोल दिया जाता था। हालांकि इस दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता था कि लिहाज और तहजीब बनी रहे।
पटियेबाजी के दौरान किसी पर मजाक और तंज तो कसे जाते थे, लेकिन इस दौरान किसी को जलील नहीं किया जाता था। लेकिन जैसे जैसे शहर का विस्तार होता गया और समाज आधुनिक होता गया। भोपाल की पटिएबाजी का दौर भी सिमटता चला गया।
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कुदसिया बेगम के कार्यकाल में शुरू हुई थी पटिएबाजी :
भोपाल में पटिएबाजी की शुरुआत नवाब कुदसिया बेगम का कार्यकाल (1819-1837) खत्म होने के बाद माना जाता है। नवाब कुदसिया बेगम जिन्हें गोहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है। उनके कार्यकाल में फतेहगढ़ के किले को शहर का अंतिम स्थान माना जाता था। यहां से एक दीवार शुरू होकर पूरे भोपाल का चक्कर लगाकर यहीं आकर खत्म हो जाती थी।
इकबाल मैदान भी तब शहर के बाहर था। सूरज ढलते ही शहर का मुख्य द्वार बंद कर पहरा कड़ा कर दिया जाता था। ऐसे में लोग मन को बहलाने के लिए इकबाल मैदान में बैठकर गुदगुदाने वाली गपशप और पटिएबाजी करते रहते थे।
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सैफिया कॉलेज में होता था गप कॉम्पटीशन :
70 के दशक में पुराने सैफिया कॉलेज में एक गप कॉम्पटीशन का आयोजन भी किया गया। स्टैंड अप कॉमेडी की ही तरह इसमें भोपाल के मशहूर पटिएबाज वर्तमान राजनीति और दोस्तों पर मजाकिया तंज कसते थे। बेहतरीन प्रस्तुति देने वाले सम्मानित भी किए जाते थे। इसी पटिएबाजी ने भी भोपाल की राजनीति में अच्छा खास दखल रखा। बड़े बड़े राजनीतिज्ञ इसी पटिएबाजी से ही उभर कर सामने आए।
वहीं शहर के शाहजहांनाबाद, जुमेराती, इकबाल मैदान, फतेहगढ़, जहांगीराबाद और गुलियादाई की गली में भी पटिए सजते थे। इस दौरान जिनके घर के बाहर पटिए होते थे, उनके बच्चे जिम्मेदारी के साथ इन पटियों को साफ करते थे। साथ ही गद्दे, चादरों और तकियों का इंतजाम भी करते थे। जिसके बाद देर रात तक चाय की चुस्कियां और पान के साथ पटिएबाजी का दौर जारी रहता था।
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ये रहे हैं भोपाल के मशहूर पटिएबाज :
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, खान शाकिर अली खान, जहूर हाशमी, मास्टर लाल सिंह, बृजमोहर सिंबल, कैफ भोपाली, तेज भोपाली, शेरी भोपाली, गुफरान ए आजम और आरिफ अकील भोपाल के मशहूर पटिएबाज रहे हैं।
दोस्तों के साथ गपशप के लिए लगने वाला दरबार उस दौर में इतना प्रसिद्ध हुआ कि लोगों ने इसे पटिएबाजी का नाम दे दिया। पटिओं पर बैठने वालों को भी पटिएबाज की संज्ञा इस दी गई। भोपाल में कई सदियों से चली आ रही पटिएबाजी भले ही आज अपने मूल स्वरूप में न बची हो, लेकिन राजधानी के कई क्षेत्रों में आज भी सजती है पटिएबाजों की महफिलें...
देर रात तक सजती थीं पटिएबाजों की महफिलें :
भोपाल में कभी स्टेंडअप कॉमेडी की ही तरह कभी देर रात तक चुटकुले, गपशप और तंज कसने का दौर चलता था। इस दौरान बड़े से बड़े गर्म मुद्दों को बड़ी नजाकत के साथ हंसी मजाक में ही बोल दिया जाता था। हालांकि इस दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता था कि लिहाज और तहजीब बनी रहे।
पटियेबाजी के दौरान किसी पर मजाक और तंज तो कसे जाते थे, लेकिन इस दौरान किसी को जलील नहीं किया जाता था। लेकिन जैसे जैसे शहर का विस्तार होता गया और समाज आधुनिक होता गया। भोपाल की पटिएबाजी का दौर भी सिमटता चला गया।
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कुदसिया बेगम के कार्यकाल में शुरू हुई थी पटिएबाजी :
भोपाल में पटिएबाजी की शुरुआत नवाब कुदसिया बेगम का कार्यकाल (1819-1837) खत्म होने के बाद माना जाता है। नवाब कुदसिया बेगम जिन्हें गोहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है। उनके कार्यकाल में फतेहगढ़ के किले को शहर का अंतिम स्थान माना जाता था। यहां से एक दीवार शुरू होकर पूरे भोपाल का चक्कर लगाकर यहीं आकर खत्म हो जाती थी।
इकबाल मैदान भी तब शहर के बाहर था। सूरज ढलते ही शहर का मुख्य द्वार बंद कर पहरा कड़ा कर दिया जाता था। ऐसे में लोग मन को बहलाने के लिए इकबाल मैदान में बैठकर गुदगुदाने वाली गपशप और पटिएबाजी करते रहते थे।
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सैफिया कॉलेज में होता था गप कॉम्पटीशन :
70 के दशक में पुराने सैफिया कॉलेज में एक गप कॉम्पटीशन का आयोजन भी किया गया। स्टैंड अप कॉमेडी की ही तरह इसमें भोपाल के मशहूर पटिएबाज वर्तमान राजनीति और दोस्तों पर मजाकिया तंज कसते थे। बेहतरीन प्रस्तुति देने वाले सम्मानित भी किए जाते थे। इसी पटिएबाजी ने भी भोपाल की राजनीति में अच्छा खास दखल रखा। बड़े बड़े राजनीतिज्ञ इसी पटिएबाजी से ही उभर कर सामने आए।
वहीं शहर के शाहजहांनाबाद, जुमेराती, इकबाल मैदान, फतेहगढ़, जहांगीराबाद और गुलियादाई की गली में भी पटिए सजते थे। इस दौरान जिनके घर के बाहर पटिए होते थे, उनके बच्चे जिम्मेदारी के साथ इन पटियों को साफ करते थे। साथ ही गद्दे, चादरों और तकियों का इंतजाम भी करते थे। जिसके बाद देर रात तक चाय की चुस्कियां और पान के साथ पटिएबाजी का दौर जारी रहता था।
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ये रहे हैं भोपाल के मशहूर पटिएबाज :
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, खान शाकिर अली खान, जहूर हाशमी, मास्टर लाल सिंह, बृजमोहर सिंबल, कैफ भोपाली, तेज भोपाली, शेरी भोपाली, गुफरान ए आजम और आरिफ अकील भोपाल के मशहूर पटिएबाज रहे हैं।