कंपनी सेक्रेटरी प्रोफेशनल एग्जाम (2018) की टॉपर रहीं संत हिरदाराम नगर की वर्षा पंजवानी ने चार्टर्ड एकाउंटेंट फाइनल के एग्जाम में पूरे देश में सातवां स्थान हासिल किया है। स्कूल से ही टॉप करती चली आ रहीं वर्षा की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता सहित परिवार के सभी लोग गर्व कर रहे हैं। सीए में टॉप करने के बाद Agnito Today ने वर्षा के घर पहुंचकर उनसे विशेष बातचीत की।
इस दौरान उनके दादा, माता-पिता से भी विशेष बातचीत कर इस टॉपर के डेली रूटीन को जाना, ताकि कॉम्पटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे अन्य छात्र भी उनके डेली रूटीन के बारे में जान सकें।
पढ़ाई में ज्यादा गेप नहीं और रेग्युलर स्टडी का मिला फायदा :
वर्षा के अनुसार किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाई में लंबा गेप नहीं करना चाहिए। रेग्युलर पढ़ाई करते रहना चाहिए। इससे पढ़ाई का बोझ नहीं बढ़ता है। लगातार पढ़ते रहने से स्टूडेंट्स मानसिक तनाव में नहीं आते, क्योंकि उन पर अचानक से सिलेबस का बोझ नहीं आता है।
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कंसेप्ट समझें फिर एग्जाम दें :
आजकल प्रश्न कंसेप्ट के आधार पर आते हैं यानि किसी भी विषय को रटकर पास नहीं किया जा सकता है। सिलेबस में जो दिया गया है उसका कंसेप्ट समझना बहुत जरूरी हो गया है। मैंने हर सब्जेक्ट के कंसेप्ट को समझा रटकर कभी भी किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।
सेल्फ स्टडी पर फोकस :
वर्षा के अनुसार हर स्टूडेंट को सेल्फ स्टडी पर फोकस करना चाहिए। वर्षा बताती हैं कि उन्होंने अपनी सारी क्लासेस लीव पर जाने से पहले ही कंप्लीट कर लीं थी, जिसके बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी पर ही फोकस किया। इस दौरान उन्होंने हर सब्जेक्ट को बराबर का समय दिया। जिससे एग्जाम को क्रेक करने में सफलता हासिल की।
रिवीजन बहुत जरूरी है :
लीव के बाद फाइनल एग्जाम के लिए केवल 6 महीने का समय था। तीन महीने सेल्फ स्टडी के बाद पहला रिवीजन, उसके एक माह बाद फिर दूसरा रिवीजन और आखिर में तीसरा रिवीजन किया, जिसका परिणाम यह आया कि पहले ही अटेम्पट में मैंने ऑल इंडिया सातवीं रैंक हासिल की।
कोविड के कारण हुई परेशानी :
वर्षा बताती हैं कि एग्जाम से पहले ही देशभर में कोविड के कारण लॉकडाउन लग गया। इस दौरान बहुत परेशानी हुई, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस लीं, जिससे एग्जाम के दौरान परेशानी नहीं आई। परेशानियां तो जीवन में आती हैं, लेकिन उनको समझदारी के साथ निपटाना ही जीवन है।
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माता-पिता की मुख्य भूमिका :
वर्षा बताती हैं कि जीवन में किसी भी मुकाम को हासिल करने के लिए अपने परिवार का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है। मेरे माता पिता ने भी मुझे हमेशा बहुत सपोर्ट किया। मुझ पर कभी किसी तरह की बंदिश नहीं रही कि मुझे किस समय पढ़ना है? कई बार पूरी रात घर की लाइट्स ऑन रखती थी, लेकिन कभी किसी ने शिकायत नहीं की। घर का किसी तरह का कोई प्रेशर मेरे ऊपर कभी नहीं रहा।
पिता बोले मेरा सीना आज गर्व से चौड़ा :
वर्षा के पिता सुनील पंजवानी वर्षा की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए बोले कि मेरीे बेटी ने मेरा सर पूरे समाज के सामने रोशन कर दिया है। मेरे जीवन को आज मेरी बेटी ने सार्थक करते हुए मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
वहीं वर्षा की मां पिंकी पंजवानी दिनभर घर आने वाले लोगों की आवभगत में लगी रहीं। दादा भंभाराम पंजवानी भी पोती की इस उपलब्धि पर प्रसन्न दिखे। दादा जी के अनुसार बेटी ने पिता का नाम नहीं पूरे खानदान का नाम रोशन कर दिया है।
इस दौरान उनके दादा, माता-पिता से भी विशेष बातचीत कर इस टॉपर के डेली रूटीन को जाना, ताकि कॉम्पटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहे अन्य छात्र भी उनके डेली रूटीन के बारे में जान सकें।
पढ़ाई में ज्यादा गेप नहीं और रेग्युलर स्टडी का मिला फायदा :
वर्षा के अनुसार किसी भी तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पढ़ाई में लंबा गेप नहीं करना चाहिए। रेग्युलर पढ़ाई करते रहना चाहिए। इससे पढ़ाई का बोझ नहीं बढ़ता है। लगातार पढ़ते रहने से स्टूडेंट्स मानसिक तनाव में नहीं आते, क्योंकि उन पर अचानक से सिलेबस का बोझ नहीं आता है।
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कंसेप्ट समझें फिर एग्जाम दें :
आजकल प्रश्न कंसेप्ट के आधार पर आते हैं यानि किसी भी विषय को रटकर पास नहीं किया जा सकता है। सिलेबस में जो दिया गया है उसका कंसेप्ट समझना बहुत जरूरी हो गया है। मैंने हर सब्जेक्ट के कंसेप्ट को समझा रटकर कभी भी किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।
सेल्फ स्टडी पर फोकस :
वर्षा के अनुसार हर स्टूडेंट को सेल्फ स्टडी पर फोकस करना चाहिए। वर्षा बताती हैं कि उन्होंने अपनी सारी क्लासेस लीव पर जाने से पहले ही कंप्लीट कर लीं थी, जिसके बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी पर ही फोकस किया। इस दौरान उन्होंने हर सब्जेक्ट को बराबर का समय दिया। जिससे एग्जाम को क्रेक करने में सफलता हासिल की।
रिवीजन बहुत जरूरी है :
लीव के बाद फाइनल एग्जाम के लिए केवल 6 महीने का समय था। तीन महीने सेल्फ स्टडी के बाद पहला रिवीजन, उसके एक माह बाद फिर दूसरा रिवीजन और आखिर में तीसरा रिवीजन किया, जिसका परिणाम यह आया कि पहले ही अटेम्पट में मैंने ऑल इंडिया सातवीं रैंक हासिल की।
कोविड के कारण हुई परेशानी :
वर्षा बताती हैं कि एग्जाम से पहले ही देशभर में कोविड के कारण लॉकडाउन लग गया। इस दौरान बहुत परेशानी हुई, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस लीं, जिससे एग्जाम के दौरान परेशानी नहीं आई। परेशानियां तो जीवन में आती हैं, लेकिन उनको समझदारी के साथ निपटाना ही जीवन है।
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माता-पिता की मुख्य भूमिका :
वर्षा बताती हैं कि जीवन में किसी भी मुकाम को हासिल करने के लिए अपने परिवार का सपोर्ट होना बहुत जरूरी है। मेरे माता पिता ने भी मुझे हमेशा बहुत सपोर्ट किया। मुझ पर कभी किसी तरह की बंदिश नहीं रही कि मुझे किस समय पढ़ना है? कई बार पूरी रात घर की लाइट्स ऑन रखती थी, लेकिन कभी किसी ने शिकायत नहीं की। घर का किसी तरह का कोई प्रेशर मेरे ऊपर कभी नहीं रहा।
पिता बोले मेरा सीना आज गर्व से चौड़ा :
वर्षा के पिता सुनील पंजवानी वर्षा की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए बोले कि मेरीे बेटी ने मेरा सर पूरे समाज के सामने रोशन कर दिया है। मेरे जीवन को आज मेरी बेटी ने सार्थक करते हुए मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया।
वहीं वर्षा की मां पिंकी पंजवानी दिनभर घर आने वाले लोगों की आवभगत में लगी रहीं। दादा भंभाराम पंजवानी भी पोती की इस उपलब्धि पर प्रसन्न दिखे। दादा जी के अनुसार बेटी ने पिता का नाम नहीं पूरे खानदान का नाम रोशन कर दिया है।